डॉक्टर से कब मिलना है और बांझपन का निदान कब करना है
कब सलाह लें?
आमतौर पर, बाँझपन को एक साल तक नियमित, असुरक्षित यौन संबंध के बाद गर्भधारण न होने के रूप में परिभाषित किया जाता है। हालांकि, यह अवधि 35 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए 6 महीने और 40 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए 3 महीने तक घटाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त, यदि प्रारंभिक बाँझपन उपचार जैसे fallopian tubes या आईयूआई (IUI) काम नहीं कर रहे हैं, तो किसी वरिष्ठ विशेषज्ञ से दूसरी राय लेना उचित हो सकता है।
किससे सलाह लें?
आप और आपके साथी को बाँझपन और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) में विशेषज्ञता रखने वाले स्त्रीरोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
बाँझपन विशेषज्ञ क्या करेंगे?
विशेषज्ञ दोनों भागीदारों का विस्तृत चिकित्सीय मूल्यांकन करेंगे, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
महिला साथी के लिए:
अंडाशय रिजर्व परीक्षण:
अंडे उत्पादन की क्षमता की जाँच के लिए रक्त परीक्षण, जिसमें फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH), एस्ट्राडियोल, और एंटी-मुलरियन हार्मोन (AMH) के स्तर को मापा जाएगा।
ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड:
मासिक धर्म चक्र के दूसरे, तीसरे, या चौथे दिन पर अंडाशय में फॉलिकल (अंडे के थैले) की संख्या गिनने के लिए।
हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राम (HSG):
फैलोपियन ट्यूब खुले हैं या नहीं, इसका मूल्यांकन करने के लिए एक्स-रे।
हिस्टेरोस्कोपी/लैप्रोस्कोपी:
आवश्यक होने पर गर्भाशय और पेट के अंदर देखने के लिए प्रक्रियाएँ।
पुरुष साथी के लिए:
वीर्य विश्लेषण:
शुक्राणु संख्या, मात्रा, पीएच, गतिशीलता, प्रगति, चिपचिपापन, आकार और संरचना की जाँच। सफेद या लाल रक्त कोशिकाओं या अपरिपक्व शुक्राणु की उपस्थिति का भी मूल्यांकन।
परीक्षण से 3-7 दिन पहले संभोग या हस्तमैथुन से बचें।
हस्तमैथुन द्वारा या विशेष कंडोम का उपयोग करके वीर्य नमूना प्रदान करें।
नमूना 60 से 90 मिनट के भीतर प्रयोगशाला में जमा करें।
हार्मोनल और जेनेटिक परीक्षण (यदि आवश्यक हो):
टेस्टोस्टेरोन, FSH, LH, TSH, और प्रोलैक्टिन के हार्मोन स्तरों की जाँच।
जेनेटिक दोषों की जांच।
संक्रामक रोग परीक्षण:
हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, एचआईवी और अन्य संक्रामक रोगों की जांच।
बाँझपन का निदान:
बाँझपन के मूल्यांकन में दोनों भागीदारों की जाँच शामिल है, क्योंकि कारण अक्सर पुरुषों और महिलाओं के बीच समान रूप से विभाजित होते हैं।
पुरुष साथी की जाँच:
कम शुक्राणु संख्या: प्रति मिलीलीटर वीर्य में 15 मिलियन से कम शुक्राणु। सामान्य सीमा 40 मिलिय शुक्राणु प्रति मिलीलीटर है।
कम गतिशीलता: शुक्राणु की खराब गतिशीलता। सामान्यत: कम से कम 40% शुक्राणु में उचित गतिशीलता होनी चाहिए।
असामान्य आकार: शुक्राणु का आकार और संरचना असामान्य हो सकते हैं, जिससे उनका तैरना और अंडे को प्रवेश करना प्रभावित हो सकता है।
आगे का उपचार:
गंभीर पुरुष कारक बाँझपन के लिए, इंट्रासाइटोप्लास्मिक शुक्राणु इंजेक्शन (ICSI) जैसे उपचार की सिफारिश की जा सकती है। यदि असामान्यताएँ पाई जाती हैं, तो अतिरिक्त हार्मोन परीक्षण और जेनेटिक स्क्रीनिंग की जा सकती है।
बाँझपन का उपचार:
बाँझपन के कारण के आधार पर उपचार योजना व्यक्तिगत होती है। आम उपचारों में शामिल हैं:
समयबद्ध संभोग: ओव्यूलेशन के साथ संभोग का समन्वय।
ओव्यूलेशन प्रेरण: ओव्यूलेशन को उत्तेजित करने के लिए दवा का उपयोग।
इन्ट्रायूटेरिन इंसेमिनेशन (IUI): शुक्राणु को सीधे गर्भाशय में रखना।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF): अंडों को शरीर के बाहर निषेचित करना और उन्हें गर्भाशय में प्रत्यारोपित करना।